बाल गंगाधर तिलक ने 1914-15 को संसदीय कार्यों की व्यावहारिक शिक्षा हेतु मद्रास में 'पार्लियामेंट' की स्थापना की और बम्बई में कांग्रेस के नेताओं की बैठक आयोजित कर 'इंडियन होमरूल' के लिए आंदोलन करने को कहा। कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं हुई तो तिलक ने स्वयं यह कार्य को अपने हाथ में लिया और 1916 में 'होमरूल लीग' की स्थापना की।
मुख्य लेख : ग़दर पार्टी
ग़दर पार्टी ने भारत में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ क्रांतिकारी युद्ध करने की शपथ ली थी। 1914
में युद्ध के आरम्भ होते ही ग़दर पार्टी वालों ने तय किया कि हथियार और
आदमी भारत भेजे जाएँ जिससे सैनिकों तथा स्थानीय क्रांतिकारियों की सहायता
से विद्रोह शुरू किया जाए। कई हज़ार लोग भारत वापस जाने के लिए आगे आए।
उनके खर्च को पूरा करने के लिए लाखों डॉलर की रकम चन्दे में मिली। अनेक
लोगों ने अपनी ज़मीन-ज्यादाद बेचकर धन लगा दिया। ग़दर पार्टी वालों ने
सुदूर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व एशिया तथा सारे भारत में भारतीय सैनिकों से सम्पर्क स्थापित किया तथा कई रेजिमेंटो को विद्रोह करने के लिए तैयार कर लिया। अंतत: 21 फ़रवरी 1915 को पंजाब
में हथियारबंद बगावत का दिन तय किया गया। दुर्भाग्यवश, अधिकारियों को इन
योजनाओं का पता चल गया और उन्होंने तुरंत कार्यवाई की। विद्रोह के लिए
तत्पर रेजिमेंटों को विघटित कर दिया गया तथा नेताओं को जेल में बंद कर दिया
गया या फाँसी पर लटका दिया गया। 23वें रिसाले के बारह आदमियों को मौत की
सज़ा दी गयी। पंजाब में ग़दर पार्टी के नेताओं और सदस्यों की बड़े पैमाने
पर गिरफ़्तार हुई तथा उन पर मुकदमा चलाया गया। उन में से 42 को फाँसी पर
लटका दिया गया 114 को आजन्म काले पानी तथा 93 को कैद की लम्बी सज़ा दी गयी।
उनमें से अनेक ने रिहा होने के बाद पंजाब में कीर्ति और कम्युनिस्ट
आन्दोलनों की नींव रखी। ग़दर पार्टी के कुछ प्रमुख नेता थे - बाबा गुरुमुख
सिंह, करतार सिंह सराभा, सोहन सिंह भकना, रहमत अली शाह, भाई परमानन्द और मोहम्मद बरकतुल्ला।
स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा- बाल गंगाधर तिलकनारे के साथ इंडियन होमरूल लीग की स्थापना की। सन् 1916 ई. में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए तथा हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हुए ऐतिहासिक लखनऊ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- नेहरु जी की ऑटोबॉयोग्राफी से
"निष्ठा की ज़ोरदार घोषणा के बावजूद अंग्रेज़ों के प्रति कोई ख़ास सहानुभूति नहीं थी। जर्मन जीतों को सुनकर नरमपंथी और गरमपंथी समान रूप से खुश हुए। बेशक, जर्मनी के लिए कोई प्रेम भावना नहीं थी बल्कि उनके मन में अपने शासकों को धूल चाटते हुए देखने की इच्छा थी।"

महात्मा गाँधी द्वारा रचित 'हिंद स्वराज' का अंग्रेज़ी रुपांतरण 'इंडियन होम रुल'
- राष्ट्र्वादियों का दृष्टिकोण
- दो होमरूल लीग की स्थापना
- क्रांतिकारी आंदोलन का विकास
ग़दर पार्टी

ग़दर पार्टी का ध्वज

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें