भारतीय संविधान सभा का निर्माण '
भारत के संविधान' की रचना के लिए किया गया था। संविधान सभा की कार्रवाई
13 दिसम्बर, सन्
1946 ई. को
जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किये गए एक उद्देश्य प्रस्ताव के साथ प्रारम्भ हुई थी।
सभा का निर्माण
ब्रिटेन से आज़ाद होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने थे।
जुलाई,
1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन में एक नयी सरकार का गठन हुआ। इस नयी सरकार ने
भारत
के संबन्ध में अपनी नई नीति की घोषणा की तथा एक संविधान निर्माण करने वाली
समिति बनाने का निर्णय लिया। भारत की आज़ादी के प्रश्न का हल निकालने के
लिए ब्रिटिश कैबिनेट के तीन मंत्री तत्कालीन समय में भारत भेजे गए। '
भारतीय इतिहास' में मंत्रियों के इस दल को '
कैबिनेट मिशन' के नाम से जाना जाता है।
15 अगस्त,
1947 को भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा पूर्णत: प्रभुतासंपन्न हो गई। इस सभा ने अपना कार्य
9 दिसम्बर,
1947 से आरम्भ कर दिया था।
प्रमुख सदस्य
संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे।
जवाहरलाल नेहरू,
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद,
सरदार वल्लभ भाई पटेल,
श्यामा प्रसाद मुखर्जी,
अबुल कलाम आज़ाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। अनुसूचित वर्गों से तीस से अधिक सदस्य इस सभा में शामिल थे।
सच्चिदानन्द सिन्हा इस सभा के प्रथम सभापति नियुक्त किये गए थे। किन्तु उनकी मृत्यु हो जाने के बाद
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सभापति निर्वाचित किया गया।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर
को संविधान निर्माण करने वाली सिमित का अध्यक्ष चुना गया था। संविधान सभा
ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 166 दिन बैठक की। सभा की बैठकों में
प्रेस और जनता को भी स्वतंत्रता से भाग लेने की छूट प्राप्त थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें